साधो सुनो बात हमारी ,
बात उस तंत्र की जो है लोकतंत्र ,
लोगो का तंत्र जंहा लोग हँ ऊँची पहुँच के ,
बड़े रसूख वाले जिन्हें परवाह नहीं पिछडो की ,
शोषितों की परवाह नहीं ,
जो नित नए कारनामे करते है ,
और अपने ऊँची पहुँच से छिपाते है ,
मंदिरों जा अपना पाप धोते है ,
और साफ सुथरे दिखाई देते है ,
तो साधो उनकी की भी बात रखते है ,
कहते है उनके बात ,
साधो सुनो हमारी बात .
- प्रज्ञा पाण्डेय
(सम्पादक की तरफ से नोट -इस कविता से एक नई ब्लॉग लेखिका प्रज्ञा पाण्डेय ,सुनो भाई साधो का हिस्सा बन रही हैं , आगे आने वाले दिनों में आप प्रज्ञा के ब्लॉग को सुनो भाई साधो में पाएंगे )
प्रज्ञा पाण्डेय -एक परिचय : प्रज्ञा पाण्डेय उन् लोगों में से हैं जो सुनो भाई साधो की शुरुआत से इससे जुडी थी,ये कविता उन्हे बस औपचारिक तरीके से सुनो भाई साधो से जोड़ने का बहाना है , प्रज्ञा पाण्डेय दिल्ली युनीवेर्सिटी में पत्रकारिता की छात्रा है , आप स्वंतत्र रूप से भी ब्लॉग लिखती हैं ।
लेखिका का ब्लॉग -एक गली जहाँ मुडती है
Saturday, December 26, 2009
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